सोमवार, 14 जून 2010

हमें माफ करना हिंदी भाषा

हमें माफ करना हिंदी भाषा,
तेरा कर्ज न हम चुका सके।
हो के स्वतंत्र तेरे सहारे से
सम्मान न हम तुझे दिला सके।
स्‍वतंत्रता के कर्णधारों ने तुझे,
रख संविधान में सम्‍मान दिया।
पर अंग्रेजों के पिछलग्गुओं ने
मिलकर अस्‍तित्‍व को तेरे मिटाने का प्रयास किया।
तूने सुदृढ़, कठोर,अविचल रहकर
नया सभी को है मुकाम दिया।
मिडिया, सिनेमा में रंग जमाकर,
नेताओं को भी बडा नाम दिया।
तेरे आगे जिनको झुकाना था मस्तक,
उन्‍होंने न कभी तेरा स्‍तुतिगान किया।
हमें माफ कर देना ऐ हिंदी भाषा तेरे लिए हमने न कुछ काम

6 टिप्‍पणियां:

  1. अच्छा लगा आपके हिंदी-प्रेम के बारे में जान कर . कृपया नवभारत टाइम्स की साईट पे बने सर्च -बौक्स में लिखें 'आकाशवाणी' और फिर ९ मई को प्रकाशित एक खबर आपको मिलेगी . इस मुद्दे पे क्या आप कुछ कर सकते हैं ? कृपया सलाह दें .

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  2. bahut sundar rachana.........aksharon ko padhaa nahi jaa rahaa hai

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  3. हिंदी हु मै...चिंदी हु मै ....भारत माता की बिंदी हु मै !!!


    nice..sirji

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  4. अब भी कुछ नहीं बिगड़ा है यह सारा का सारा दारोमदार यंगिस्तान के ऊपर निर्भर है उन्हें यह समझना चाहिए कि हिंदी हमारी अपनी भाषा है. जिसे बोलने पर गर्व महसूस करना चाहिए न कि ग्लानि। दुख तो जब होता है जब अपने ही लोग हिंदी को नकार कर पर भाषा में जुट जाते हैं, भाई तुम्हारे जैसी सच्ची निष्ठा सभी में नहीं है, हिंदी का कर्ज जिसने समझा होगा वह जरूर अपना कुछ न कुछ समय हिंदी में देगा और इसका प्रसार करेगा।ट
    जय हिंद, जय हिंदी, जय हिंदुस्तान

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