मंगलवार, 27 अक्तूबर 2009
पल में सच्चाई का एहसास
तपती धूप में पसीने से तर
हाथ में अखबार लिए
उसका मासूम चेहरा उसकी गरीबी साफ ब्यां कर रहा था ।
उसके पेट की भूख
उसके चेहरे पर साफ झलक रही थी ।
कुछ क्षण में वो
देश के हालात बता गया।
मेरे भीतर तक इस एहसास को जगा गया
अभी बहुत दूर हम गरीबी को हटाने में
जहां गरीबों की किस्मत अमीर लिखते हैं
उस देश के गरीब कहां अमीर बनते हैं ।
सोमवार, 26 अक्तूबर 2009
जिंदगी
जिंदगी जब भी तुझे समझने की कोशिश करता हूं
उलझता ही चला जाता हूं
देखकर दुनिया के अजीबो गरीब रंग
जियूं तुझे किस तरह सोच कर रह जाता हूं
कहीं तुझे खुशी में जीते देखता हूं
कहीं तुझे गम मे बिलखते हुए देखता हूं
कहीं तुझे लोगों के बीच समझते देखता हूं
कहीं तुझे जीने का ढंग बताते सुनता हूं
फिर सोचता हूं
खुद के बनाए रास्ते पर जियूं तुझे
या जियूं खुदा के बताए रास्ते पर
उलझन है मेरी सुलझती ही नहीं
अपनी उलझन
जो शब्दों में ब्यां नहीं कर पाता हूं
हर दिन सोचता हूं तुझे,
तडपता हुआ सो जाता हूं ।
गीत
काश के लम्हें ठहर ही जाते
जब तुम और हम साथ थे
तुम हकीकत में थी मेरे सामने
ऐसा लगा कि ख्वाब थे ।
काश के लम्हें...............
मुद्दतों के बाद मिले हम
प्यार से कैसे जी भर जाता
जितना मिलते उतना कम था
दिल को कैसे सूकून आता
अब तुमसे मिलने की ख्वाहिश लेकर
हम अपने दिल को हैं बहलाते
काश के लम्हे.............
जब तुम और हम साथ थे
तुम हकीकत में थी मेरे सामने
ऐसा लगा कि ख्वाब थे ।
काश के लम्हें...............
मुद्दतों के बाद मिले हम
प्यार से कैसे जी भर जाता
जितना मिलते उतना कम था
दिल को कैसे सूकून आता
अब तुमसे मिलने की ख्वाहिश लेकर
हम अपने दिल को हैं बहलाते
काश के लम्हे.............
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