बुधवार, 4 अगस्त 2010

यादों की सौगात

पल दो पल की रूसवाईयों में,
बीत गई सारी जिन्दगी जुदाईयों में
तुझे भूलना चाहा और शायद भुला भी दिया
पर तू ही याद आया अकसर तनहायिओं में ।

ज़िन्दगी बहुत पीछे छूट गई,
हम बहुत आगे निकल आए
पर पन्ने पलट कर देखा जो इक रोज़
तेरा ही नाम लिखा था बेवफाईयों में ।।

यूं ही चलते-चलते,
साया तक साथ छोड़ गया
कोई ना रहा अपना ।
पर इक दिन देखा जो दर्दे जिगर में,
तू ही नज़र आया,दिल की गहराईयों में ।।