राजभाषा विकास को जूनून बनाएं, आइए अपनी भाषाओं को समृद्ध बनाएं
गुरुवार, 24 जून 2010
बरसात
बरसात की एक बूंद मेरे तन पर जब पड़ी तो दिल की धडकनें तेज हो गईं और मन में एक बार फिर डर घर करने लगा कि इस बार भी बाढ का प्रकोप कई जानें लेने जरूर आएगा। गरीब की छत फिर जाएगी अमीर की जेब फिर राहत के पैसे से भर जाएगी।।
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