काश के लम्हें ठहर ही जाते
जब तुम और हम साथ थे
तुम हकीकत में थी मेरे सामने
ऐसा लगा कि ख्वाब थे ।
काश के लम्हें...............
मुद्दतों के बाद मिले हम
प्यार से कैसे जी भर जाता
जितना मिलते उतना कम था
दिल को कैसे सूकून आता
अब तुमसे मिलने की ख्वाहिश लेकर
हम अपने दिल को हैं बहलाते
काश के लम्हे.............
काश के लम्हें ठहर ही जाते
जवाब देंहटाएंजब तुम और हम साथ थे
sundar panktiyan
बहुत सुन्दर रचना है।बधाई।
जवाब देंहटाएंसही तो यही है कि कोई भी सुख को बाँध कर नही रख सकता।